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हां, डर लगता है मुझे,

प्रश्न यानी क्वेश्चन क्या है? इसकी क्या उपयोगिता है हमारे जीवन में?

प्रश्न यानी क्वेश्चन क्या है? इसकी क्या उपयोगिता है हमारे जीवन में? प्रश्न एक ऐसी भाषायी अभिव्यक्ति है जिसका उपयोग हम सूचना या जानकारी प्राप्त करने या देने के लिए करते हैं, शंका का समाधान करने या जिज्ञासा को शांत करने के लिए करते हैं। प्रश्न नई शुरुआत की उम्मीद के साथ-साथ एक बेहतर भविष्य तरफ ले जाने वाला कारक है। प्रश्न अर्थात ज्ञान अर्जित करने की संभावना, संभावना एक उज्जवल और विकसित जीवन शैली की। भारतीय संस्कृति में प्रश्नों का बहुत महत्व है। यहाँ तक कि कुछ विचारकों का मानना है कि भाषा का आविष्कार ही प्रश्न करने के लिए हुआ है। प्रश्नोत्तर परंपरा को सत्य की खोज के एक प्रमुख उपकरण के रूप में देखा जाता है, और इसे विकास और ज्ञान के मार्ग में एक अहम् भूमिका माना जाता है। जीवन में प्रश्नों की उपयोगिता अत्यंत व्यापक है। वे हमें नई दिशाओं में सोचने के लिए प्रेरित करते हैं, समस्याओं का समाधान खोजने में मदद करते हैं, और हमारी समझ को गहरा करते हैं। प्रश्न हमें अपने आस-पास की दुनिया और खुद को बेहतर समझने का अवसर देते हैं। वे हमें चिंतनशील बनाते हैं और हमारी जिज्ञासा को जागृत करते हैं, जो कि आत्म-

पुरुषार्थ और कार्य में क्या अंतर है? पुरुषार्थ को पुरुषार्थ क्यों कहते हैं?

पुरुषार्थ और कार्य में क्या अंतर है? पुरुषार्थ को पुरुषार्थ क्यों कहते हैं? पुरुषार्थ शब्द किसी लिंग विशेष के लिए नहीं, हालांकि उनके द्वारा किए जाने वाले कार्यों के लिए प्रयोग किया जाता है। पुरुषार्थ अर्थात वह कार्य जो शास्त्रों के अनुकूल अर्थात अनुसार हो, जिसमें नीति, नियम, धर्म का पालन हो, इसका उद्देश्य सात्विक हो, और उससे उत्पन्न होने वाला फल सिर्फ उसे व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि उसके परिवार, उसके समाज, और उसके देश के लिए भी लाभकारी हो। ऐसे कार्यों को पुरुषार्थ कहते हैं।  पुरुषार्थ का अर्थ वास्तव में उन कार्यों से है जो न केवल व्यक्तिगत उन्नति के लिए होते हैं, बल्कि समाज और राष्ट्र के कल्याण के लिए भी होते हैं। यह धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष के चार पुरुषार्थों के माध्यम से व्यक्त होता है, जो एक संतुलित और सार्थक जीवन के लिए आवश्यक हैं। धर्म का पालन करते हुए अर्थ कमाना, उचित ढंग से काम की पूर्ति करना, और अंततः मोक्ष की प्राप्ति के लिए प्रयास करना, यही पुरुषार्थ की अवधारणा है। इसमें नीति और नियमों का पालन करना, सात्विक जीवनशैली अपनाना, और ऐसे कार्य करना शामिल है जिनसे सभी को लाभ हो। इस द

मनुष्य कितने प्रकार के होते हैं? कौन-कौन से प्रकार का मनुष्य है यह कैसे पहचाना जा सकता है?

मनुष्य कितने प्रकार के होते हैं? कौन, -कौन से प्रकार का मनुष्य है यह कैसे पहचाना जा सकता है? आपको पता है इस पृथ्वी पर बहुत सारे रंग, भेद, भाषा, वाणी न जाने कितने अलग-अलग प्रकार के लोग रहते हैं। पर सच तो यह है इस पृथ्वी पर केवल दो ही प्रकार के व्यक्ति है जिन्हें आप इस पोस्ट के माध्यम से जानेंगे  विभिन्न संस्कृतियों और विचारधाराओं के बीच, अक्सर यह कहा जाता है कि मनुष्यों को दो मुख्य प्रकारों में बांटा जा सकता है: सकारात्मक या निर्माणात्मक व्यक्ति (Constructive or Positive Individuals), ये वे लोग होते हैं जो समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में काम करते हैं। उनके गुणधर्म में सहानुभूति, सहयोग, और उदारता शामिल होती है। वे अपने और दूसरों के जीवन में सुधार और विकास के लिए प्रयासरत रहते हैं। नकारात्मक या विध्वंसात्मक व्यक्ति (Destructive or Negative Individuals), इसके विपरीत, ये वे लोग होते हैं जो नकारात्मकता और विध्वंस की ओर झुकाव रखते हैं। उनके गुणधर्म में ईर्ष्या, क्रोध, और स्वार्थ शामिल हो सकते हैं। वे अक्सर समाज में तनाव और विभाजन पैदा करते हैं। हालांकि, यह भी महत्वपूर्ण है कि हम मान

क्षमा, निडरता और त्याग को क्यों कहते हैं जीवन का अमृत।

क्षमा, निडरता और त्याग को क्यों कहते हैं जीवन का अमृत।  क्षमा, हमारे अंदर उन भावनाओं को उत्पन्न करती है, जिससे हम दूसरों की भावनाओं को, मजबूरीओं को समझ सकते हैं। क्षमा, हमें दूसरों को समझने की भावना या कह सकते हैं, क्षमता प्रदान करती है। निडरता, हमें नीति, न्याय, धर्म पर अडिग रहते हुए हमें सत्य निष्ठ, सत्य पारायण बने रहने की क्षमता प्रदान करता है। त्याग, जब हम किसी कार्य में सफल हो जाते हैं तो, हमारे अंदर अहंकार, अहम और न जाने कितने विकार उत्पन्न होते हैं। त्याग, उन विकारों को खत्म करने की क्षमता देता है, समझ प्रदान करता है। जब हम किसी कार्य में नाकाम हो जाते हैं, असफल हो जाते हैं, तब हमारे अंदर भय, डर, क्रोध, लोग और न जाने कितने प्रकार के विकार उत्पन्न होते हैं, उन सारे विकारों से त्याग हमारी रक्षा कर लेता है। इन सारे विकारों की भूल भुलैया से बाहर निकलने की समझ और शक्ति प्रदान करता है। एक छोटे से वाक्य में अगर कहना चाहूं तो, वह यह हो सकता है कि, त्याग हम मनुष्यों के लिए रिसेट का बटन है। त्याग ही वह गुण है, जो हमें, हमारे जीवन को रिसेट करता है। और नई शुरुआत करने की प्रेरणा देता है। म

मिल गया वह कारण, जो लगता तो अच्छा है, पर हमारे विनाश का कारण है।

मिल गया वह कारण, जो लगता तो अच्छा है, पर हमारे विनाश का कारण है। आपको पता है कभी लगता है जीवन एक पुस्तक की तरह है। कभी लगता है, जीवन एक शिक्षक की तरह है। क्योंकि हर समय, हर घड़ी, यह कुछ ना कुछ ऐसी नया सीखाती है, नवीनता का बोध कराती है। और ऐसी चीज समझाती है। जिसे देखकर, सोच कर समझ कर आश्चर्य चकित रह जाता हूं। जीवन वास्तव में एक पुस्तक की तरह है जिसमें हर अध्याय नई कहानियाँ और सबक लेकर आता है। और एक शिक्षक की तरह, जीवन हमें अनुभवों के माध्यम से सिखाता है, जिससे हम बढ़ते और विकसित होते हैं। यह अनुभव हमें विभिन्न भावनाओं से गुजरने का मौका देते हैं, जैसे कि आश्चर्य, खुशी, दुःख, और भी बहुत कुछ। आज मैंने अपने जीवन से सीखा अभिमान द्वेष, घृणा, क्रोध का मूल कारण क्या है। वह कौन सी चीज है, जो इन्हें पोषित करती है। और हमारे अंदर इन्हें जीवित रखती है। मैंने आज इसे जाना और समझा। अभिमान, द्वेष, घृणा, क्रोध आध्यात्मिक तौर पर इनका एक ही कारण है, श्रेष्ठता का भाव, खुद को दूसरों से ऊपर या श्रेष्ठ समझने का भाव। इन सारे विकारों को उत्पन्न करता है, पोषित करता है। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से, अभिमान, द्वेष, घृण

जब इंसान का विनाश होने वाला होता है तो वहां कौन-कौन से कार्य करता है?

जब इंसान का विनाश होने वाला होता है तो वहां कौन-कौन से कार्य करता है? जब किसी व्यक्ति का विनाश निकट होता है, तो अक्सर उसके व्यवहार में कुछ परिवर्तन देखे जा सकते हैं। आचार्य चाणक्य के अनुसार, जब किसी व्यक्ति का बुरा समय आने वाला होता है, तो वह अपने हित की बातें भी नहीं सुनता है³। ऐसे व्यक्ति के विनाश के कुछ संकेत निम्नलिखित हो सकते हैं:  व्यक्ति अहंकारी हो जाता है और अपने आप को दूसरों से श्रेष्ठ समझने लगता है।  व्यक्ति अनुशासन और नियमों का पालन नहीं करता।  व्यक्ति ज्ञान की उपेक्षा करता है और सीखने की इच्छा नहीं रखता।  व्यक्ति दूसरों के प्रति असम्मानजनक और दुर्व्यवहार करता है।  व्यक्ति धर्म और नैतिकता के मार्ग से भटक जाता है। ये संकेत व्यक्ति के आंतरिक और बाहरी जीवन में उसके विनाश की ओर अग्रसर होने का सूचक हो सकते हैं। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने आचरण को सदैव सकारात्मक और धर्मिक बनाए रखें। आत्म-चिंतन और आत्म-सुधार की प्रक्रिया में रहकर हम अपने जीवन को उत्तम दिशा में ले जा सकते हैं।  आध्यात्मिक दृष्टिकोण से, जब किसी व्यक्ति का पतन होने वाला होता है, तो वह अक्सर नीति और धर्म युक्त व

क्या आप चाहते हैं अपने जीवन में स्थिरता (स्टेबिलिटी) को ? तो अपना ना होगा इन तरीकों को।

क्या आप चाहते हैं अपने जीवन में स्थिरता (स्टेबिलिटी) को ? तो अपना ना होगा इन तरीकों को। यह इकलौता वीडियो ही, आपको उन प्रश्नों के उत्तर देगा, जिन्हें ना जानने के कारण आप उलझे पड़े हैं, जीवन के संघर्ष में, और नहीं स्थापित और स्थिर कर पा रहे हैं, जीवन में शांति और समृद्धि को। जीवन में स्थिरता यानी स्टेबिलिटी आ जाए। जीवन मे सुख के साथ समृद्धि मैं सदा बढ़ोतरी होती रहे। तो त्यागना होगा, उन सबको जो नश्वर है। खत्म करना होगा मोह को, उनके प्रति जो नश्वर है। स्वीकार करना होगा, अपनाना होगा और अपने अंदर उसे स्थिर करना होगा जो अनश्वर है, जिसका नाश नहीं किया जा सकता। जीवन में स्थिरता यानी स्टेबिलिटी के लिए, जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति के लिए नश्वर वस्तुओं का त्याग और अनश्वर मूल्यों को अपनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। नश्वर चीजें, जैसे कि भौतिक संपत्ति और अस्थायी सुख, अंततः नष्ट हो जाती हैं। इसके विपरीत, अनश्वर मूल्य जैसे कि धर्म (कर्तव्य/नैतिकता), शक्ति, क्षमा, निर्भयता, और त्याग ऐसे गुण हैं जो न केवल व्यक्तिगत विकास में सहायक होते हैं, बल्कि समाज को भी आदर्श बनाने में योगदान करते हैं। धर्म और शक

क्या है वह, जो मनुष्य को व्याकुल, परेशान और अशांत रखता है।

क्या है वह, जो मनुष्य को व्याकुल, परेशान और अशांत रखता है। जब इंसान ऐसी मानसिकता को अपने अंदर पोषण देता है, या उसे पोषित करता है, जो उस मनुष्य को व्याकुल, परेशान, अशांत कर देती है, तब वही पोषण उस मनुष्य के पतन का कारण बनता है। आपने कभी इस बात को समझने का प्रयास किया है, बाहरी वस्तु, भाव, चाहे जो भी कुछ हो उनका प्रभाव हम पर कुछ समय के लिए ही होता है, पर उनसे उत्पन्न होने वाले भाव जिसे आप इंट्रेस्ट भी कह सकते हैं, वह बहुत समय तक हमारे मस्तिष्क में हमारे अंदर जीवित रहता है। और अपना प्रभाव दिखाता रहता है, क्या कारण हो सकता है, कि हम उस भाव को, उस प्रकरण को, अपने मस्तिष्क से निकाल नहीं पाते, जो हमारे व्याकुलता, परेशानी और हमें अशांत रखने का कारण होता है। उन सभी भावनाओं और विकारों को समझाने का प्रयास करेंगे, जिससे कि आप अपने जीवन से व्याकुलता, परेशानी और अशांति से रक्षा कर पाए। अगर बचना चाहते हो ऐसी भावनाओं से, ऐसी शक्तिओ से, जो आपको व्याकुल, परेशान और अशांत करती हैं। तो पोषित करना छोड़ना होगा, उन सभी मानवीय विकारों को, मस्तिष्क के विकारों को जो हमारे अंदर पोषित हो रहे हैं। अगर हम अपने अंदर

अगर आपने 21 दिवस ब्रह्म मुहूर्त में किया ध्यान और योग तो होंगे यह चमत्कारिक फायदे!

ब्रह्म मुहूर्त में ध्यान करने की विधि कुछ इस प्रकार हो सकती है: 1. स्थिरता: ध्यान के लिए शांत और स्थिर स्थान चुनें। 2. आसन: सही आसन अपनाएं, जैसे पद्मासन या सुखासन। 3. श्वास ध्यान: श्वास की गहराई को महसूस करें, और नियमित श्वास के साथ ध्यान केंद्रित करें। 4. मंत्र जप: एक शांत मंत्र का जप करें, जैसे 'ॐ' ( OM ) या कोई अन्य आपके लिए मान्य होने वाला मंत्र। 5. चित्त की शांति: चित्त को शांत और खाली करने के लिए ध्यान केंद्रित करें। 6. समय निर्धारण: अपने ध्यान के लिए स्थिर समय निर्धारित करें, जैसे 15-30 मिनट। 7. अंत में: ध्यान समाप्त करने से पहले धन्यवाद या आभार का भाव रखें। ध्यान करते समय, महत्वपूर्ण है कि आप शांति और स्थिरता के साथ ध्यान केंद्रित करें, और ध्यान को एक नियमित अभ्यास के रूप में शामिल करें। ब्रह्म मुहूर्त में 21 दिनों तक कंटीन्यूअस ध्यान योग करने से कई लाभ हो सकते हैं: 1. मानसिक शांति: यह आपको मानसिक तनाव और चिंता से निजात दिलाकर मानसिक शांति प्राप्त कर सकता है। 2. ध्यान क्षमता में सुधार: ध्यान के माध्यम से, आपकी ध्यान क्षमता और ध्यान की गहराई में सुधार हो सकता है। 3. स्वस

आइंस्टीन और जेपी अब्दुल कलाम जैसे महान वैज्ञानिकों द्वारा समाज कल्याण के लिए बताई गई कुछ कोट्स।

आइंस्टीन के कुछ प्रसिद्ध कोट्स हैं: "जो अकेले चलता है, वह सफर का आनंद नहीं ले सकता।" - इस कोट्स से आइंस्टीन ने समझाया कि हमें साथ मिलकर काम करना चाहिए ताकि हम समृद्धि और सफलता की ओर बढ़ सकें। "ज्ञान शक्ति है।" - इस कोट्स से उन्होंने बताया कि ज्ञान ही हमें समस्याओं का समाधान निकालने में मदद कर सकता है और समाज को आगे बढ़ाने में मदद कर सकता है।  "उन लोगों को जो नहीं सोचते, वे कभी कुछ नया नहीं करते।" - इस कोट्स से आइंस्टीन ने हमें सोचने की महत्वता बताई है, क्योंकि नई सोच ही नई आविष्कारों और समाजिक परिवर्तनों की जननी होती है। इन कोट्स के माध्यम से आइंस्टीन ने समझाया कि समाज के विकास और उत्थान के लिए हमें साथ मिलकर काम करना, ज्ञान का उपयोग करना, और नई सोच को प्रोत्साहित करना आवश्यक है। जेपी अब्दुल कलाम जैसे महान वैज्ञानिक और राष्ट्रपति ने भी कई मोटिवेशनल कोट्स प्रस्तुत किए हैं, जो समाज के विकास और उत्थान के लिए प्रेरणादायक हैं।  "विजय का राज़ उसी के हाथ में होता है जो मेहनत करता है।" - यह कोट्स हमें सिखाता है कि समृद्धि और सफलता के लिए मेहनत करना अत्यं

इन पांच विश्व विख्यात गुरुओं ने उजागर की जीवन की पांच महत्वपूर्ण सिख जिससे हम सफलता को प्राप्त कर सकते हैं।

डेल कार्नेगी के प्रसिद्ध पांच विचार हैं: 1. संघर्ष से बचो, जीत में परिपूर्णता को आदर्श बनाओ: उन्होंने सिखाया कि संघर्षों का सामना करना अवश्य है, लेकिन उन्हें उन्नति और सफलता की दिशा में परिपूर्णता की ओर ध्यान देना चाहिए। 2. लोगों को प्रभावित करने का योग्यता: कार्नेगी का मानना था कि यदि आप अपनी योग्यताओं और दिल से आत्म-समर्पण के साथ काम करते हैं, तो आप अपने आसपास के लोगों को प्रेरित करने की क्षमता विकसित कर सकते हैं। 3. दोस्तों और सहायकों की महत्ता: उन्होंने सिखाया कि सफलता में दोस्तों और सहायकों का समर्थन अत्यंत महत्वपूर्ण है। 4. समय को अच्छी तरह से प्रबंधित करें: उन्होंने महत्वपूर्णता के आधार पर काम करने की महत्ता को बताया और समय का महत्व समझाया। 5. संपत्ति का उपयोग समाज के लाभ के लिए: उन्होंने अपनी धनराशि का बड़ा हिस्सा सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक कार्यों में निवेश किया। टोनी रॉबिन्स के प्रसिद्ध पांच विचार हैं: 1. उत्कृष्टता की खोज: रॉबिन्स का मानना था कि उत्कृष्टता की खोज में हमें निरंतर प्रयास करना चाहिए। 2. स्वयं नियंत्रण: उन्होंने सिखाया कि हमारे जीवन को हमें स्वयं नियंत्रित क

जीवन में इन आश्चर्यजनक चमत्कारिक परिवर्तनों को जानकर आप त्याग देंगे अपने जीवन से डर को हमेशा के लिए।

 निर्भय होने से आप अपने जीवन को स्वतंत्रता के साथ जी सकते हैं, बिना किसी डर के। निर्भय होने से आप अपने आंतरिक और बाहरी डरों से मुक्त होते हैं, जिससे आपको खुद को और अपने जीवन को स्वतंत्र महसूस होता है। आपको अपने निर्णयों को लेकर आज़ादी मिलती है और आप अपने सपनों की दिशा में अधिक स्वतंत्रता से काम कर सकते हैं। इससे आपका जीवन उत्साहपूर्ण और संतुष्ट बनता है, क्योंकि आप स्वतंत्रता के साथ अपने रूटिन से बाहर निकल सकते हैं और नए अनुभवों का आनंद ले सकते हैं।  स्ट्रेस और चिंता के कम होने से सामाजिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। जब हम निर्भय होते हैं, तो हम स्ट्रेस और चिंता के कारण से परेशान नहीं होते हैं। इससे हमारा मानसिक स्वास्थ्य सुधारता है, जिससे हम खुशहाल और सकारात्मक रहते हैं। इसके अलावा, यह स्ट्रेस के कम होने से हमारा शारीरिक स्वास्थ्य भी सुधारता है। स्ट्रेस कम होने से हमारा रक्तचाप नियंत्रित रहता है, दिल के रोगों का खतरा कम होता है, और हमारा नींद का गुणवत्ता भी बेहतर होती है। इससे हम स्वस्थ जीवन जीने में सक्षम होते हैं और अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित रखने में सहाय

क्षमा भाव, माफ कर देना एक सुखी जीवन के लिए अमृत के समान है

क्या आपको पता है क्षमा कर देना माफ कर देना किसी को कितना फायदेमंद होता है खुद के लिए? मेरा विश्वास है इन फायदों को जानकर आप क्षमा के भाव को जरूर अपने अंदर स्थापित और स्थिर करेंगे। 1. स्वस्थ मनोवैज्ञानिक लाभ: क्षमा से दिल को सुकून मिलता है और तनाव कम होता है। क्षमा करने से दिल को सुकून मिलता है और तनाव कम होता है क्योंकि यह मन को शांति देता है। जब हम किसी को क्षमा करते हैं, तो हम अपने मन को उस घटना या व्यक्ति से मुक्त कर देते हैं। और उससे मुक्त हो जाते हैं। इससे हमारा मानसिक दबाव कम होता है और हम अपने आसपास के माहौल को भी शांतिपूर्ण महसूस करते हैं। यह हमें अधिक सकारात्मक सोचने के लिए प्रेरित करता है और मानसिक स्थिति में सुधार करता है। 2. रिश्तों को मजबूत करना: क्षमा से रिश्ते मधुर होते हैं और उन्हें मजबूती मिलती है। क्षमा करने से रिश्ते मधुर होते हैं क्योंकि इससे हम दूसरों की गलतियों को स्वीकार करते हैं और उन्हें माफ कर देते हैं। जब हम किसी को क्षमा करते हैं, तो हम उन्हें एक नई आरंभ की अवस्था देते हैं, जिसमें दोनों पक्ष एक-दूसरे के साथ सहयोग और समर्थन करते हैं। इससे रिश्ते गहरे और मजबूत

Ashwini Yoga can bring a revolutionary improvement in your personality. You will be shocked to hear.

Achieving complete mastery of Ashwini Yoga can profoundly impact human life. It may result in a state of heightened physical vitality, mental clarity, and emotional balance. The practitioner may experience a deep sense of inner peace, confidence, and resilience, enabling them to navigate life's challenges with grace and ease. With enhanced creativity, focus, and leadership abilities, they may excel in their endeavors, achieving success in both personal and professional domains. Overall, mastery of Ashwini Yoga can lead to a life characterized by holistic well-being, fulfillment, and the realization of one's highest potential. Practicing Ashwini Yoga is believed to bring several benefits: It is said to increase energy levels and vitality, promoting a sense of well-being and vigor.  Ashwini Yoga is considered auspicious for starting new projects, businesses, or endeavors. It's believed to provide the necessary drive and determination for success.  Followers of Vedic astrology

पांच योगा पोज जो रनिंग और जॉगिंग से ज्यादा कैलोरी और फैट को बोर्न करते हैं

बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिन्हें रनिंग, जॉगिंग, एक्सरसाइज करना पसंद नहीं पर वह स्वस्थ रहना चाहते हैं। उनके लिए मैं लेकर आया हूं पांच ऐसे योगा पोज जो उनकी एक्स्ट्रा कैलोरी को Burn करेंगे, एक्स्ट्रा फैट को Burn करेंगे, साथ ही साथ शारीरिक क्षमता, मानसिक क्षमता को भी सुधरेंगे। चलिए बिना देर किए शुरू करते हैं इस स्वास्थ्य वर्धक ब्लॉग पोस्ट को। निम्नलिखित पांच योगासन आपको रनिंग और जॉगिंग से अधिक गैलरी और फैट को जलाने में मदद कर सकते हैं: सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar): सूर्य नमस्कार एक पूर्ण शरीर का व्यायाम है जो संभावित रूप से सभी शारीरिक समस्याओं का सामना करने में मदद कर सकता है, सहित है, गैलरी और फैट को कम करने में मदद कर सकता है। सूर्य नमस्कार एक प्राचीन योगाभ्यास है जो सूर्य की पूजा और समर्पण के रूप में किया जाता है। यहाँ सूर्य नमस्कार का एक साधारण तरीका है: 1. प्रारम्भ करें ध्यान के साथ, अपने श्वास को नियंत्रित करें। 2. उठें और अपने पैरों को सम्मुख करें, हाथों को प्रारंभिक स्थिति में उठाएं। 3. अपने हाथों को समेटें और प्रणाम करें (नमस्ते)। 4. सांझ करें और उच्च नमस्ते कहें, हाथों को ऊपर उठा

मां सीता से एक आदर्श नारी, आदर्श मां, आदर्श पत्नी बनने की सीख

इस ब्लॉग पोस्ट का आरंभ करने से पहले मैं आप सबको बता देना चाहता हूं, की मां सीता एक इतनी महान चरित्र के आदर्श को संपूर्ण रूप से बता देने में, समझा देने में मैं क्या कोई भी सक्षम नहीं होगा। पर मैं मां सीता के आशीर्वाद से कोशिश करूंगा की उन आदर्शों के वैल्यू को अपने ब्लॉग पोस्ट में अपनी पूरी क्षमता के हिसाब से दर्शा सक्कू। बाकी सब मां सीता के आशीर्वाद पर छोड़ देते हैं। जय मां सीता जय श्री राम। हम आप हम सभी बखूबी जानते हैं मां सीता के बारे में। मां सीता जिन्होंने आदर्श के कीर्तिमान को स्थापित किया एक नारी के रूप में, एक पत्नी के रूप में, एक मां के रूप में। मां सीता ने अपने जीवन चरित्र के माध्यम से एक नारी को किस प्रकार जीवन जीना चाहिए इसकी सीख दी है। मां सीता ने अपने जीवन चरित्र में उन मूल्यों को उजागर किया है, जिन मूल्यों के राह पर चलकर हर एक नारी एक आदर्श मां बन सकती है, एक आदर्श पत्नी बन सकती है, एक आदर्श नारी बन सकती है। मां सीता का जीवन चरित्र प्रेरणा स्रोत है हर नारी के लिए। इस धरती पर जो कोई भी वूमेंस अगर मां सीता द्वारा आचरीत जीवन मूल्यों को अपने जीवन में अपनाएगी, उनका अनुसरण करेगी

आखिर क्यों कुछ लोग बहुत कम बीमार पड़ते हैं

अक्सर हमने अपने आस पास ऐसे लोगों को जरूर नोटिस किया होगा जो बहुत कम बीमार पड़ते हैं। कभी सोचा है उनके कम बीमार होने का कारण क्या हो सकता है। कुछ अनोखा बताएंगे बने रहिए इस ब्लॉग पोस्ट के साथ। मानव शरीर एक पावर हाउस की तरह है जिसमें हर समय एनर्जी के रूप में इलेक्ट्रिक करंट जनरेट होते रहता है। जिसे हम दिव्य शक्ति भी कह सकते हैं। वह दिव्य शक्ति, इलेक्ट्रिक करंट हमारे शरीर के चारों तरफ हमारे त्वचा द्वारा, हमारे त्वचा के ऊपर घूमती रहती है। जिसे आप साइंस के लैंग्वेज में एटम का रिपल्शन फोर्स कह सकते हैं। यह जो शक्ति रुपी, दिव्य शक्ति रुपी इलेक्ट्रिक करंट जो हमारे शरीर के चारों तरफ घूमती रहती है, यह उन वायरसो को हमारे अंदर त्वचा द्वारा प्रवेश करने से पहले ही मार देती है, या उसे वापस पीछे धकेल देती है। जो भी इंसान जितना अधिक शारीरिक और मानसिक रूप से स्टेबल होता है, स्ट्रांग होता है, वह बहुत कम बीमार पड़ता है। क्योंकि हमेशा ही उसके चारों तरफ एक दिव्य शक्ति इलेक्ट्रिक दिव्य शक्ति घूमती रहती है, जो बाहर से आने वाले बीमार कर देने वाले वायरस को रोकती हैं खत्म कर देती है। हमने अक्सर देखा है जो इंसान म

हमारे सपने हमारी पहचान: the concept of nature

यह दुनिया सपने से भरी हुई है, कितनों के सपने पूरे होते हैं और कितनों के नहीं हो पाते हैं। पर सपने देखना एक कांसेप्ट है लाइफ का। एक बहुत ही अहम पहलू है हमारे जीवन का। अब बात आती है की सपने कैसे प्रभावित करते हैं हमारे लाइफ को। यह कितना अहम रोल प्ले करते हैं हमारे लाइफ में। बस इसी कांसेप्ट को समझने के लिए इस ब्लॉग पोस्ट का निर्माण किया है मैंने। क्या कभी आपने यह सोचा है अगर जीवन से सपना गायब हो जाए तो क्या होगा। कभी सोचा है बिना सपनों का जीवन कैसा होगा। मैं मानता हूं बिना सपनों का जीवन जैसे बिना चासनी का गुलाब जामुन। अगर जीवन से सपना गायब हो जाए तो उनके साथ-साथ चले जाएगा इंसान का उमंग, कुछ करने की इच्छा, कुछ पाने की इच्छा यह सब खत्म हो जाएगा आप समझ पा रहे हैं इच्छाओं का नाश हो जाने से सब कुछ एकदम से ठहर सा जाएगा। जब इच्छाएं ही नहीं होगी जब डिमांड ही नहीं होगा तो इंसान और पशु में बहुत अंतर नहीं होगा। हमारे सपने जन्म देते हैं हमारी इच्छाओं को और हमें प्रेरित करते हैं उत्साहित करते हैं और हम मैं एनर्जी भरते हैं उन्हें इच्छाओं को पूरा करने के लिए। इन इच्छाओं को पूरा करने के लिए जो हम प्रयास