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हां, डर लगता है मुझे,

अपनी आंतरिक क्षमता को खोलें: फर्जी मोटिवेशनल स्पीकरों और उनकी धोखेबाज मोटिवेशन से बचें

 हले तो बाहर की दुनिया को ही संभालना पड़ता था। पर अब का समय ऐसा आ गया है कि हर कोई मोटिवेशनल स्पीकर बन गया है। हर कोई मोटिवेशन का ज्ञान देने लगा है। इसलिए अभी अपने अंदर की दुनिया यानी सोच और समझ को भी संभालना बहुत आवश्यक हो गया है।


मैं कभी बैठता हूं और यह सोचता हूं। उनके लाखों लाखों व्यू है। क्या सच में हम सबको इन मोटिवेशनल स्पीकरों की इनके मोटिवेशन की जरूरत है एक्चुअल में? मैं यह नहीं कह रहा हूं कि यह जो मोटिवेशनल स्पीकर है, झूठ बोलते हैं या बनावटी बातें करते हैं, लेकिन उनकी दुनिया उनके लाइफ के चैलेंज हमसे बिल्कुल अलग है। हर इंसान के जीवन का चैलेंज एक दूसरे इंसान से अलग ही होता है। फिर उनके मोटिवेशन हमें कैसे काम लगेंगे। यह समझना जरा मुश्किल है।


कहीं इधर-उधर की बात बताकर एक्साइटमेंट उत्पन्न करके यह मोटिवेशनल लोग कहीं धंधा तो नहीं कर रहे हैं। हमारे इमोशन के साथ हमारे मोटिवेशन के साथ हमारे पीस के साथ खिलवाड़ तो नहीं कर रहे हैं। कभी इस पर विचार किया है आपने? क्योंकि मोटिवेशन तो आत्मज्ञान है और आत्मज्ञान के लिए हमें किसी और से ज्ञान लेने की आवश्यकता नहीं है वह हमारे आत्मा में ऑलरेडी है ही।


बस प्रयास करना है इसे समझने की, और इसे खुद से ज्यादा कोई दूसरा समझा दे। मैं यह नहीं मानता। अगर कुछ समझना है तो वह हम खुद ही समझ सकते हैं क्योंकि यह हमारी आत्मा है और हमारा आत्मज्ञान है। क्या जीवन को समझना इतना आसान है कि पूरा सोशल मीडिया भेड़ बकरियों की तरह भीड़ लगाकर बीड़ा पड़ा है ।  मोटिवेशनल देने के लिए समझाने के लिए, इतना आसान है क्या जीवन की गुत्थियों को गांठों को समझना और खोलना?

मेरा यह मानना है कि मोटिवेशन के लिए हमें खुद पर डिपेंड होना चाहिए ना कि दूसरे पर और किसी का साथ चाहिए हमें अपने जीवन की गांठों को सुलझाने के लिए तो वह एकमात्र विकल्प है भगवत गीता का यह एकमात्र ऐसी बुक है जिसमें जीवन के सारे समस्याओं का हल लिखा है। बस ध्यान देने, विश्वास करने और पढ़ने की जरूरत है।


मुझे मालूम है कि मेरी बातों को बहुत सारे लोग नहीं मानेंगे क्या करें ये दुनिया ही ऐसी है जिसे चटपटी बातें मसाले मिर्च वाली बातें अच्छी लगती हैं। उनका स्वाद अच्छा हो सकता है लेकिन वह स्वास्थ्य के लिए अच्छे नहीं होंगे। मेरी बातें एक सात्विक और साडे पकवान की तरह है जो खाने में स्वादिष्ट नहीं है, पर यह आपके जीवन के स्वाद को स्वस्थ जरूर कर देगी। मेरा विश्वास है।


मैं आपको कुछ तरीका बताऊंगा जिससे आपको अपने मोटिवेशन के लिए किसी और पर डिपेंड होने की जरूरत नहीं है। वह अपने आप ही आपके अंदर आत्मज्ञान की तरह उजागर हो जाएंगे।


1. जब भी जीवन में मायूसी महसूस हो, कोई ऐसी जगह चले जाओ जहां बहुत सारे छोटे बच्चे खेल रहे हो, हंस रहे हो, दौड़ रहे हो, मायूसी उन्हें देखकर ही दूर हो जाएगी। कुछ नहीं करना है। कुछ नहीं सोचा है बस सिर्फ और सिर्फ उन्हें देखना है। फिर देखना क्या चमत्कार होता है? आपके अंदर का बच्चा अपने आप ही जागृत हो जाएगा और बच्चों को बहुत बड़ी चीज नहीं चाहिए। वह छोटी से छोटी चीजों में भी खुशियां ढूंढ लेते हैं। उन्हें बहुत कुछ नहीं चाहिए होता है जो उनके पास अवेलेबल होता है,उसमें ही वह खुशियां ढूंढ लेते हैं और इससे बड़ा मोटिवेशन क्या होगा?


2. जब भी जीवन में ऐसा मौका आ जाए कि अपनी सोच समझ यहां तक की जीवन जीने का साहस भी साथ छोड़ने लगे, हमसे दूरी बनाने लगे तब यह करना। घूमने निकल जाना प्रकृति को देखना लोगों को देखना और उन्हें समझने का भावनात्मक रूप से समझने का प्रयास करना उनकी परिस्थितियों को समझने का प्रयास करना। मेरा विश्वास है कि आपको समझ आएगा कि आपका जीवन कितना मूल्यवान है और इसमें कितनी सारी खुशियां हैं जिन्हें आप देख नहीं रहे, समझ नहीं रहे।  वह एक खुशी जिसे आप चाहते हैं, वह एकमात्र जीवन का उद्देश्य नहीं है। उसके अलावा बहुत सारे उद्देश्य हैं। आपके अंदर ऐसी भावनाएं उत्पन्न होने लगेगी जिसे आप फिर से जीवंत हो उठेंगे। जीवन की ऊर्जा आप में फिर से भर जाएगी और आप फिर से उठ खड़े होंगे। प्रॉब्लम को फेस करने के लिए, और आप अंदर से स्टेबल हो जाएंगे फिर से जीवन जीने के लिए। मेरा विश्वास है।


मैं यह मानता हूं और विश्वास भी करता हूं। अगर जीवन में कुछ सुख दे सकता है तो वह एकमात्र त्याग और दान है।


अपने जीवन में त्याग करो अपनी इच्छाओं का अपने दुख का, और दान करो खुशियों का समर्पण का अच्छी भावनाओं का।


जीवन को अपने लिए नहीं उन परिजनों के लिए उन मां-बाप के लिए जियो जो आपसे सच्चा प्रेम करते हैं।


और अंत में अगर ईश्वर ने जीवन दिया है तो, उसे जियो एक आदर्श बानो, संसार के लिए मां-बाप के लिए और उसे समाज के लिए जो आपके आस-पास है।


अगर जीवन को एक आदर्शवादी जीवन बनाना चाहते हो जिसमें सुख हो, समृद्धि हो, शांति हो, संस्कार हो और सम्मान भी हो। मैंने ऊपर इस फार्मूले को बताया हुआ है। और फिर से लिखता हूं। अपने जीवन में त्याग करो अपनी इच्छाओं का अपने दुख का, और दान करो खुशियों का समर्पण का अच्छी भावनाओं का।


एक तरीका बताता हूं इमीडिएट खुश होने का जो भी आपके पास हो उसका थोड़ा सा हिस्सा कुछ भाग! दान कर दीजिए, दे दीजिए उन जरूरतमंद लोगों को जिनको इनकी जरूरत है, यह करते ही इमीडिएट आत्मा को संतोष प्राप्त होगा और आपको खुशी!

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