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हम सभी मृत्यु को जीवन का अंतिम सत्य मानते हैं. क्या आपको पता है मृत्यु के अलावा भी जीवन के छह अंतिम सत्य और है उसके बारे में हम यहां विस्तार से जानेंगे समझेंगे. इस ब्लॉक पोस्ट के माध्यम से जो छूट गए छह जरूरी जीवन के अंतिम सत्य को हम उजागर करेंगे सबके सामने. यह ईश्वर द्वारा निर्धारित किए गए अंतिम सत्य है, इन्हें परिवर्तित नहीं किया जा सकता.
१. मृत्यु: मृत्यु जीवन का अटल सत्य है जो इस संसार में आया है उसे अपनी जिम्मेदारियां को निभा कर वापस जाना है. जो इस पृथ्वी पर आया है उसका अपना एक जीवन काल है जीवन काल पूरा कर वापस जाना है. जिसने भी जीवन के इस अंतिम सत्य को समझा है, वह अपने जीवन में सत्य कर्मों द्वारा अपने परलोक को सुधारता है, और अपने जीवन को मानव कल्याण समाज कल्याण के लिए लगता है. यह सत्य एक कठोर सबक सिखाती है जो भी कुछ अपने अर्जित किया हो, इस पृथ्वी पर वह सब यहीं रह जाएगा. आप कुछ भी अपने साथ लेकर नहीं जा पाएंगे, जिस तरह जन्म के समय आए थे खाली हाथ उसी तरह मृत्यु के साथ जाएंगे खाली हाथ.
२. परिवर्तन: यह भी एक अटल सत्य है. जो आज जैसा है कल वैसा नहीं रहेगा. हर समय, हर घड़ी, हर छन जो भी कुछ हमें दिख रहा है, और जो भी अदृश्य है वह सब परिवर्तित हो रहा है. क्योंकि परिवर्तन ही इस संसार का अटल सत्य है. परिवर्तन ही है, जो जीवन चक्र को चलातऻ है. आज जो बच्चा पैदा हुआ, कल युवान होगा, फिर वृद्ध होगा और मृत्यु को प्राप्त होगा. मृत्यु को अटल सत्य बनाने वाला परिवर्तन ही है. परिवर्तन हर उसे वस्तु, चीज को जो दिखाई दे रही है और जो दिखाई नहीं दे रही हैं, उनको परिवर्तित करते-करते मृत्यु के करीब ले जाता है, अंत के करीब ले जाता है, नष्ट हो जाने तक के करीब ले जाता है.
३. समय: समय कभी भी किसी के लिए नहीं ठहरता. इस अटल सत्य को हर कोई बखूबी जानता है. पर मुझे अफसोस से कहना पड़ रहा है, की समझता कोई नहीं. जिसने भी समय के वैल्यू को समझा, आज उसकी वैल्यू समय ने कई गुना कर दी है. उसे सक्सेस की बुलंदियों तक पहुंचा दिया है. समय एक अटल सत्य को जानना, समझना, उसका उपयोग करना हमें सीखना होगा. क्योंकि यह इतना मूल्यवान है, की एक बार हमसे खो गया तो, हम लाखों करोड़ों देकर भी, उस समय को वापस नहीं खरीद सकते.
४. कर्म: जो भी इस संसार में आया है उसे अपने जीवन जीने के लिए कर्म करना ही होगा, बिना कर्म के कोई भी एक क्षण भी जिंदा नहीं रह सकता. कर्म एक सत्य होने के साथ-साथ एक बंधन भी है, एक चोला भी है, इंसान रिश्तो के बंधन में बंध कर, मैं डॉक्टर हूं , मैं इंजीनियर हूं, मैं नेता हूं, मैं अभिनेता हूं इसका चोला ओढ़ सारे जीवन इस बंधन में बंध कर भागता रहता है. प्रकृति हर किसी को बाधित करती है कर्म करने के लिए.
५. संघर्ष: संघर्ष एक ऐसा सत्य है, जो पहली सांस से लेकर आखरी सांस तक चलती रहती है. इस संसार में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो क्षण मात्र भी बिना संघर्ष के जीवन यापन कर पा रहा हो. संघर्ष एक ऐसा सत्य है, की इस पृथ्वी पर कुछ भी करना है, कुछ भी पाना है, कुछ भी हासिल करना है, तो हम सबको संघर्ष के मार्ग से होकर ही जाना होगा. इस सत्य के माध्यम से मनुष्य ने अपने जीवन को उन्नत बनाया है. अपने आप को और बेहतर बना रहा है. संघर्ष इस सत्य को जिसने भी अपनाया, उसने सुख शांति और समृद्धि को प्राप्त किया. और जिस ने इस से बचने का, इससे भागाने का, प्रयास किया वह इसकी जाल में उलझ कर नाकामयाब होकर रह गया. मेरा एक सुझाव है आप सभी से, संघर्ष को सहज ही स्वीकार कर लो जीवन में स्थिरता आ जाएगी.
६. हार जीत: इस संसार में हम जो भी कुछ करते हैं, उसमें क्या तो हमारी हार होती है या जीत होती है. परिणाम के रूप में इस सत्य के अलावा और कोई परिणाम नहीं होता है. इस पृथ्वी पर जीवन लिया है तो, कार्य भी करना होगा और कार्य करेंगे तो उसका परिणाम आएगा, और वह परिणाम क्या तो हार के रूप में आएगा क्या तो जीत के रूप में आएगा. इस कारण यह जीवन का सत्य बन जाता है.
७. जन्म: अगर मृत्यु जीवन का अटल सत्य है तो जन्म भी जीवन का अटल सत्य है. भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है, जिसकी मृत्यु होती है उसका जन्म भी आवश्यक होता है. केवल शरीर मरता है आत्मा नहीं. जन्म एक ऐसा सत्य है जिसे झूठ लाया नहीं जा सकता. यह अलग बात है की जब जन्म होता है, तो शरीर में चेतना तो होती है पर समझ नहीं, और मृत्यु होता है तब शरीर में चेतना और समझ दोनों होती है. इस कारण हर कोई मृत्यु को जीवन का अंतिम सत्य कहता है. पर इस बात को झूठलाया नहीं जा सकता जन्म भी जीवन का एक सत्य है. जन्म पर ही मृत्यु डिपेंड है यानी जन्म के सत्य पर ही मृत्यु का सत्य डिपेंड है.
जन्म और मृत्यु एक दूसरे के बिना अधूरे हैं. किसी एक का अस्तित्व खत्म हो जाए तो दूसरे का कोई अस्तित्व नहीं रहता क्योंकि जब तक जन्म नहीं होगा तब तक मृत्यु कहां से होगी और जब तक मृत्यु नहीं होगी तब तक नए जन्म कहां से होंगे
अंत में, मैं आप सब से कहना चाहूंगा. इन सातों जीवन के सत्य से मिलकर ही एक जीवन का आधार बनता है. जीवन का स्वरूप बनता है. इन सातों की वजह से ही जीवन जीवंत हो उठता है.
आप सब अपना बहुत बहुत ख्याल रखिए 'जय श्री कृष्णा'
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