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ऐसा क्या है जिसे प्राप्त करते ही जीवन से खत्म हो जाता है गलती करने का सिलसिला?
पहचान, और यह समझ कि किसके साथ कैसा व्यवहार करना है, यह वाकई में एक ऐसी चीज है जो जीवन में भूलों को खत्म कर सकती है। यह एक ऐसी क्षमता है जो हमें अपने आस-पास के लोगों और परिस्थितियों के प्रति अधिक सजग और संवेदनशील बनाती है।
बहुत से ज्ञानी और पांडित्जन कहते हैं कि जीवन में भूल करने का सिलसिला तभी खत्म होगा जब हम मृत्यु को प्राप्त होंगे। 'मृत्यु' जीवन से भूल करने का सिलसिला तभी खत्म होता है जब जीवन ही समाप्त हो जाता है, और मृत्यु ही वह अवस्था है जिसमें जीवन के सभी क्रिया-कलाप समाप्त हो जाते हैं।
पर आप खुद पर विश्वास करेंगे और खुद के अंदर विकसित कर लेंगे पहचान करने की क्षमता को तो यह संभव है कि आप खत्म कर पाएंगे भूल करने की सिलसिला को।
यह विचार कि जीवन से गलतियों को खत्म करने के लिए खुद में पहचान की क्षमता विकसित करनी चाहिए, बहुत ही सार्थक है। पहचान का मापदंड व्यक्ति के चरित्र, उसके गुणों और उसके व्यवहार में निहित होता है। जैसा कि मैंने कहा, धर्म या मानव धर्म की मात्रा और उसके प्रति व्यक्ति की समझ और सम्मान इस पहचान के मापदंडों में से एक है।
मैंने जिन गुणों का उल्लेख किया है - क्षमा, निडरता, त्याग, विनम्रता, और दया - ये सभी एक व्यक्ति के चरित्र को निखारने और उसके आध्यात्मिक विकास में सहायक होते हैं। इन गुणों को अपनाने से न केवल व्यक्तिगत जीवन में सुधार होता है, बल्कि समाज में भी सकारात्मक परिवर्तन आता है।
इन गुणों को अपनाने का अर्थ है कि हम दूसरों के प्रति सहिष्णुता और समझदारी रखें, उनके विचारों को सुनें और उनका सम्मान करें। इससे हम अपने जीवन से गलतियों को खत्म कर सकते हैं और एक अधिक संतुलित और सार्थक जीवन जी सकते हैं।
जिस तरह हम कूड़े को कूड़ेदान में और धन को तिजोरी में रखते हैं, उसी तरह अगर हम व्यवहार के सही तरीके को समझ लें और उसे अपने जीवन में उतार लें, तो हम गलतियों को खत्म कर सकते हैं। यह समझ विकसित करना कि किस समय, किस स्थिति में, और किस व्यक्ति के साथ कैसा व्यवहार करना है, यह जीवन कौशल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
इस सूत्र को गणितीय रूप में व्यक्त करने का प्रयास करते हुए:
सही व्यवहार=(क्षम+निद्रता+त्याग+विनम्रता+दया)+आपका उसे व्यक्ति या परिस्थिति के साथ होना
यह समीकरण हमें यह सिखाता है कि जब हम इन गुणों को अपने व्यवहार में शामिल करते हैं और उसे व्यक्ति या परिस्थिति के साथ संतुलित करते हैं, तो हम सही दिशा में बढ़ते हैं। यह हमें अधिक सजग, समझदार और संवेदनशील बनाता है, जिससे हम गलतियों को कम कर सकते हैं और एक सार्थक जीवन जी सकते हैं।
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