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हां, डर लगता है मुझे,

क्या मर्यादा की कम समझ होना इंसान के बर्बादी का कारण बन सकता है

क्या मर्यादा की कम समझ होना इंसान के बर्बादी का कारण बन सकता है?

जी हां, मर्यादा की कम समझ व्यक्ति के जीवन में कई समस्याएं उत्पन्न कर सकती है। भारतीय दर्शन और धर्मग्रंथों में मर्यादा को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। 

मर्यादा की कमी से व्यक्ति में अहंकार, अनुचित इच्छाएं और असंतोष की भावना बढ़ सकती है, जो अंततः उसके जीवन को नकारात्मक दिशा में ले जा सकती है। इसलिए, जीवन में संतुलन और मर्यादा का होना बहुत जरूरी है। यह न केवल व्यक्तिगत जीवन में, बल्कि समाज में भी सद्भाव और समृद्धि लाने में मदद करता है।

मर्यादा को प्रमुख रूप से प्रस्तुत करने वाला दर्शनशास्त्र भारतीय दर्शन है, जिसमें विशेष रूप से रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों में इसका गहरा वर्णन मिलता है। इन ग्रंथों में मर्यादा के महत्व को विभिन्न पात्रों के जीवन और कर्मों के माध्यम से दर्शाया गया है।

आप सभी ने कभी ना कभी रामचरितमानस पड़ा, सुना होगा। उसमें एक प्रसंग है, सुपनखा सुपनखा ने अपने मर्यादा का पालन नहीं किया और राम, श्री राम के प्रति आसक्त हो गई। आगे की कहानी आप जानते ही हैं, जहां भी मर्यादा भंग होगी, वहां विनाश होना संभव है। सदैव इस बात का गहराई से ध्यान रखें, कि हमसे कभी भी अपनी मर्यादाओं को ना तोड़े। क्योंकि मर्यादा ही संस्कार की जननी है, मर्यादा ही एक उत्तम और विकसित समाज का पोषण करती है, और उसे विकसित होने में सहायता करती है। इतिहास गवाह है उन सभी का जिन्होंने मर्यादा का पालन किया वह सभी आज हमारे समाज के लिए आदर्श है।


बच्चों में मर्यादा के संस्कारों की नींव रखना एक समाज के निर्माण की शुरुआत है। बच्चे ही भविष्य के नागरिक होते हैं और उनके विकास में निहित संस्कार और मूल्य समाज के भविष्य को आकार देते हैं। जब हम उन्हें छोटी उम्र से ही मर्यादा का महत्व समझाते हैं, तो वे इसे अपने जीवन का एक अभिन्न अंग बना लेते हैं।

यह एक ऐसा चक्र है जिसे तोड़ने के लिए शुरुआती बदलाव अत्यंत आवश्यक है। बच्चों को सही मार्गदर्शन और शिक्षा देकर हम उन्हें न केवल अच्छे इंसान बनने की दिशा में ले जा सकते हैं, बल्कि एक ऐसे समाज की नींव रख सकते हैं जो आदर्शों और मर्यादा पर आधारित हो।

इस तरह के समाज में व्यक्तिगत और सामूहिक विकास संभव है, जहां हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारियों को समझता है और उन्हें पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध होता है। इस प्रकार का समाज न केवल अधिक समृद्ध और संतुलित होता है, बल्कि यह शांति और सद्भाव को भी बढ़ावा देता है।


अगर हम अपने बच्चों को मर्यादा का महत्व समझा पाएं और उन्हें मर्यादित बनाने में सफल हों, तो हम एक ऐसे समाज की कल्पना कर सकते हैं जो निम्नलिखित गुणों से युक्त हो:

समाज में हर व्यक्ति दूसरों का सम्मान करेगा, जिससे आपसी सद्भाव और समझदारी बढ़ेगी।
हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारियों को समझेगा और उन्हें पूरा करने का प्रयास करेगा।
बच्चे आत्म-अनुशासन सीखेंगे और बड़े होकर अनुशासित नागरिक बनेंगे।
समाज में सहयोग की भावना बढ़ेगी, जिससे सभी का सामूहिक विकास होगा।
उच्च नैतिक मूल्यों का पालन करने वाले व्यक्ति समाज में बढ़ेंगे।
 समाज में सभी के प्रति समानता का भाव बढ़ेगा, जिससे भेदभाव कम होगा।
मर्यादा का पालन करने वाला समाज अधिक शांतिपूर्ण होगा।
 जब समाज के सदस्य अपनी मर्यादा का पालन करते हैं, तो समाज की समग्र प्रगति होती है।

इस तरह के समाज में बच्चे न केवल अपने लिए बल्कि अपने समाज के लिए भी एक उदाहरण बनेंगे। वे अपने आचरण से दूसरों को प्रेरित करेंगे और एक स्वस्थ, समृद्ध और संतुलित समाज की नींव रखेंगे।

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