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जीवन को सुख और शांति से जीने की कला सीखें।
जीवन जीना एक कला है, इस कला का ज्ञान, मैं आपको अपने बनाए कुछ सूत्रों के आधार पर दूंगा। जिससे आप अपने जीवन को सुख शांति समृद्धि के साथ जी पाएंगे।
हमेशा इस बात का ध्यान रखें, की हमारे कर्म ऐसे होने चाहिए, कि जब भी सुबह उठे पूजा करने के लिए अपने ईश्वर, अपने भगवान, अपने आराध्य के सामने जाएं तो हमारे मन को, आत्मा को, दिमाग को यह विश्वास हो कि हमारे कर्म एसे है, इस लायक है, कि हम अपने ईश्वर अपने भगवान के सम्मुख बैठकर उनकी प्रार्थना और पूजा कर सकते हैं। हमारा मन आत्मगिलानी से व्याकुल न होकर, संतोष के भाव से भरपूर होना चाहिए।
जीवन में चाहे कोई भी कार्य, कोई भी प्रकरण क्यों ना हो, उस कार्य, उस प्रकरण को हमें अपने मान सम्मान से नहीं जोड़ना है। उस कार्य को, उस प्रकरण को एक कार्य की तरह, एक प्रकरण की तरह ही देखना, समझना और करना है क्योंकि अक्सर देखा गया है लोग अपने कार्यों को, उनके साथ होने वाली घटनाओं को, उनके साथ होने वाले प्रकरण को मान और सम्मान के साथ जोड़ लेते हैं। यह कारण उनके मन में अशांति और निराशा का भाव उत्पन्न करता है। उनके मन को सदा ही व्याकुलता की और ले जाता है। यह बताने की आवश्यकता नहीं है, यह तो आप खुद ही समझते हैं, कि एक अशांत मन व्याकुल मन वाला व्यक्ति कैसे सुखी और समृद्ध हो सकता है?
जब आप इस बात का ध्यान रख रहे हैं कि हमारे कार्य इस लायक है, हमारे कर्म इस लायक है कि हम अपने ईश्वर आराध्य के सामने जा सके, उनकी पूजा कर सके। तब इस भाव को मन से बिल्कुल निकाल दीजिए। की "क्या कहेंगे लोग" क्योंकि यह जो भाव है क्या कहेंगे लोग वाला। यह मन में डर और व्याकुलता को जन्म देता है। डर और व्याकुलता कभी भी, किसी के लिए अच्छे नहीं होते हैं। डर से भरा हुआ मन, एक व्याकुल मन कभी भी शांत नहीं हो सकता है। और अशांत और व्याकुल मन को कभी भी सुख, शांति और समृद्धि नहीं प्राप्त हो सकती।
अच्छे और सत्कर्म व्यर्थ नहीं जाते, 'हरि' लेखा चोखा रखते हैं। औरों को फूल दिए जिस ने उसके भी हाथ महकते हैं। कोई दीप मिले तो बाती बन, तू भी किसी का साथी बन। अगर कर्म तेरे पावन है सभी, दुबेगी नहीं तेरी जीवन की नाव कभी। तेरे हाथ पकड़ने को वह वेस बदलकर आएगा विश्वास करो अपने सत्य कर्मों पर, अच्छे कर्मों पर और भरोसा रखो उसे ईश्वर पर। जीवन में सब अच्छा होगा।
मेरे द्वारा निर्मित इन तीनो सूत्रों का पालन करते ही, आप देखेंगे कि आपके जीवन शैली में सुधार हो रहा है। आपका जीवन सुख, शांति और समृद्धि से परिपूर्ण होता जा रहा है। आपके अंदर से, आपको परेशान करने वाले विकार खत्म होते जा रहे हैं। कृपया मेरे लिए नहीं, अपने लिए, अपने परिवार के लिए, अपने बच्चों के लिए, अपने बूढ़े मां-बाप के लिए मेरे बताएं इन तीन सूत्रों पर विचार कीजिए और उचित लगे तो अपने जीवन में धारण कीजिए।
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