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अयोध्या के राजा दशरथ का जन्म कैसे हुआ था उनके माता-पिता कौन थे?
राजा दशरथ का जन्म अयोध्या के महान राजा अज और रानी इंदुमती के घर हुआ था। उनका मूल नाम नेमि था, लेकिन उन्हें दशरथ कहा जाता था क्योंकि उनकी रथ दस दिशाओं में जा सकती थी और आकाश में उड़ सकती थी।
एक बार राजा अज अपनी पूजा कर रहे थे, तभी लंका के राजा रावण उनसे युद्ध करने आए। राजा अज ने अपनी पूजा भगवान शिव को समर्पित की और जल को आगे की बजाय पीछे की ओर फेंका। रावण ने इस पर आश्चर्य व्यक्त किया और पूछा कि ऐसा क्यों किया गया। राजा अज ने उत्तर दिया कि उन्होंने एक गाय को देखा जो कि एक शेर के हमले का शिकार होने वाली थी, इसलिए उन्होंने जल पीछे की ओर फेंका।
रावण ने जब शेर को देखा तो उसमें कई तीर लगे हुए थे, जो कि राजा अज की शक्ति का प्रमाण थे। रावण ने यह समझ लिया कि ऐसे महान योद्धा को हराना असंभव है और बिना युद्ध किए ही लंका लौट गए।
एक और अवसर पर, राजा अज एक सुंदर कमल का फूल प्राप्त करने के लिए एक तालाब में गए, लेकिन कमल उनसे दूर होता गया। तभी एक दिव्य वाणी ने कहा कि "हे राजा! तुम संतान विहीन हो और इस कमल को प्राप्त करने के योग्य नहीं हो।" इससे राजा अज को बहुत दुख हुआ और वे अपने महल लौट आए।
भगवान शिव ने राजा अज की चिंता को देखा और उन्हें संतान प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। इसी आशीर्वाद से राजा दशरथ का जन्म हुआ।
राजा दशरथ के भी कोई संतान नहीं थी, इसलिए उन्होंने सेज वशिष्ठ की सलाह पर पुत्रकामेष्टि यज्ञ किया। इस यज्ञ को ऋषिशृंग मुनि ने संपन्न किया और यज्ञ के दौरान अग्निदेव ने उन्हें खीर का कटोरा प्रदान किया। राजा दशरथ ने इस खीर को अपनी तीनों पत्नियों - कौशल्या, सुमित्रा, और कैकेयी - में बांटा। इस खीर को खाने के बाद, उनकी तीनों पत्नियां गर्भवती हुई और उनसे राम, लक्ष्मण, भरत, और शत्रुघ्न का जन्म हुआ।
यह कथा हमें धर्म और मर्यादा की महत्वपूर्ण शिक्षा देती है। राजा दशरथ के जीवन से हमें यह सिखा मिलती है कि कैसे एक व्यक्ति को अपने कर्तव्य और धर्म का पालन करते हुए जीवन यापन करना चाहिए।
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