- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
इस संसार में हर कोई समृद्ध होना चाहता है, धन अर्जित करना चाहता है. और वह यह भी चाहता है की मां लक्ष्मी की कृपा सदा उस पर और उनके परिवार पर बनी रहे. और सोचने वाली बात यह है कि सब मां लक्ष्मी की कृपा दया दृष्टि चाहते हैं. और इसमें कोई दो राय नहीं है की मां लक्ष्मी की दया और कृपा के लिए अथक प्रयास भी करते हैं. पर सवाल यहां यह है कि, उनमें से कितने लोग हैं, जो सही दिशा में प्रयास कर रहे हैं, मां लक्ष्मी की दया, कृपा, आशीर्वाद सदा हम पर हमारे परिवार पर बनी रहे इसके लिए. मैं आपको १० ऐसे गुन या उपाय बताऊंगा जिससे मां लक्ष्मी की कृपा दया हम सब पर सदा बनी रहेगी.
मुझे पूर्ण विश्वास है, कि हम सब ने कभी ना कभी रामायण पढ़ा है. राम के चरित्र का श्रवण किया है. चाहे वह टीवी सीरियल के माध्यम से हो, या गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित राम चरित्र मानस पुस्तक के माध्यम से. आपने देखा होगा जब तक राम अयोध्या में थे, पूरी अयोध्या नगरी हंस खेल रही थी. हर तरफ सुख, समृद्धि और धर्म का वास था. जैसे ही श्री राम को वनवास दिया गया, श्री राम के वनवास जाते ही अयोध्या नगरी से हंसी, खुशी, सुख, समृद्धि और धर्म लुप्त सा हो गया. कभी आपने इस पर विचार किया है, नहीं ना, चलिए मैं आपकी मदद कर देता हूं। राम नारायण के अवतार थे, और आप बखूबी जानते हैं कि जहां नारायण होंगे वही मां लक्ष्मी होगी। भगवान नारायण को सदा अपने अंदर, अपने घर के अंदर, अपने परिवार जनों के अंदर वास हो, इसलिए श्री राम द्वारा आचरीत इन १० गुणो को हमें अपने अंदर धारण करना होगा। इसके फल स्वरुप मां लक्ष्मी मां सीता का आशीर्वाद हम पर हमारे समुदाय पर हमारे परिवार जनों पर सदा बना रहेगा। जनकल्याण के कार्य में देरी नहीं होनी चाहिए। इसलिए बिना विलंब किये उन 10 गुना के बारे में, मैं आप सभी को बताता हूं।
१. धैर्य: मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने अपने जीवन में धैर्य को बहुत ही सुंदर ढंग से परिभाषित किया है. उन्होंने जितने सुंदर ढंग से धैर्य को इस समाज के सामने प्रस्तुत किया है, वह सच में एक आदर्श है. धैर्य मानवी जीवन का एक ऐसा गुण है रहस्य है, जिसे इंसान जान ले, समझ ले तो उसे कोई भी धर्म भ्रष्ट नहीं कर सकता. (यहां धर्म से मेरा अभिप्राय है मानव धर्म, पारिवारिक धर्म, सामाजिक धर्म और राजनीतिक धर्म से) अक्सर देखने में आया है की धैर्य द्वारा लिए हुए फैसले सदा ही हितकारी होते हैं, दोनों ही पक्षों के लिए. धैर्य सदा ही सही फैसला करने मैं, सही दिशा में सोचने की क्षमता प्रदान करता है. जैसे इंसान बाहर की दुनिया में खूबसूरत दिखने के लिए आभूषण धारण करता है. उसी तरह धैर्य हमारे अंतरात्मा और हमारे चरित्र को परिभाषित करता है. खूबसूरत बनाता है.
२. क्षमा: भगवान श्री राम द्वारा आचॅरित सर्वश्रेष्ठ गुणों में से एक गुण है. लगभग हर इंसान एंजायटी, ओवरथिंकिंग जैसी बीमारियों से ग्रसित है. भगवान श्री राम द्वारा आचरित 'क्षमा' इस एक गुण को अच्छी तरह से समझ ले, और अपने आचरण में धारण कर ले, तो इसके प्रभाव स्वरूप एंजायटी और ओवरथिंकिंग जैसी बीमारियों से छुटकारा मिल जाएगा है. क्षमा एक ऐसा भाव है, जिसे आपने अक्सर एक देवतुल्य इंसान या एक योगी के अंदर देखा होगा. क्षमा इस एक गुण को अच्छी तरह अपने जीवन में आचॅरित करने से हमारे पारिवारिक और सामाजिक संबंध बहुत अच्छे हो जाएंगे. लोगों से हमारा व्यवहार बहुत अच्छा हो जाएगा. जीवन से तनाव का अंत हो जाएगा.
३. त्याग: हमारे आदर्श श्री राम ने अपने जीवन में कई महान त्याग किए हैं. उनके द्वारा किए हुए त्यागो से, हमें हमारे बच्चों को जीवन की नई राह मिली है. उनके द्वारा किए हुए त्याग आज भी हम मनुष्य समुदाय को सही राह पर चलने की प्रेरणा दे रहे हैं. जिस भी इंसान ने त्याग के महत्व को समझा, और उसे अपने जीवन चरित्र में धारण किया वह सभी आज एक आदर्श और महापुरुष है. त्याग इंसान के चरित्र का एक ऐसा गुण है, जो उसे लोगों की नजरों में समाज की नजरों में आदर्श और आदरणीय बनाता है. त्याग मानव मूल्य और उसके चरित्र का ऐसा उदाहरण है, जो केवल एक सच्चे प्रेम में प्राप्त होता है. त्याग के पूरे स्वरूप को आप सच्चे प्रेम में प्रत्यक्ष रूप से देख सकते हैं.
४. वीरता: युग पुरुष श्री राम ने अपने जीवन में वीरता के ऐसे उदाहरण प्रस्तुत किए हैं, जिससे आज वह हमारे बच्चों के लिए, आने वाली पीढियो के लिए वीरता के सिंबोल के रूप में जाने जाते हैं. वीरता केवल शारीरिक शक्ति से ही नहीं बल्कि आंतरिक आत्मा के बहुत सारे गुणो का मिश्रण है अगर एक दुबला पतला शरीर से कमजोर इंसान भी बुराई और अन्याय खिलाफ खड़ा है तो वह वीर पुरुष ही माना जाता है वीरता का सही अर्थ शरीर की शक्ति नहीं, आत्मा मैं शुद्धता, सोच में पवित्रता और नीति न्याय के हिसाब से आचरण, जीवन के शुद्ध और पवित्र आदर्श पर हमेशा अडिट रहना, अन्याय दुराचार के खिलाफ आवाज उठाना ही साहस होता है, सही, शुद्ध मायने में वीरता माना जाता है.
५. प्रेम: जब बात श्री राम की हो रही है, तो उसमें प्रेम का जिक्र ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता, क्योंकि श्रीराम जहां भी जाते थे वहां के हिंसक पशु भी एक दूसरे से प्रेम करने लगते थे. प्रेम एक ऐसा भाव है, जिसमें इंसान त्याग समर्पण के सही अर्थ को समझता और उसके हिसाब से आचरण करता है. प्रेम एक ऐसा पवित्र बंधन है, जिसमें इंसान बंधता तो है, लेकिन सही मायने में वह आजाद हो जाता है, अपने स्वार्थ से, अपने विकारों से, अपने दुख से और अकेलेपन से. यह प्रेम ही तो है, जो हमें इस स्वार्थी संसार में एक दूसरे से जोड़ता है, वह भी बिना स्वार्थ के. जिसको भी सच्चा प्रेम मिल जाता है, वह इस धरती पर रहते हुए भी स्वर्ग का आनंद उठाता है.
६. साधुता: हम सभी के आदर्श श्री राम ने अपने जीवन में साधुता वैराग्य का एक ऐसा उदाहरण दिया है, जिसने हमें इस लालच, कपट, फरेब और संघर्षों से भरे संसार में रहते हुए भी अपने कर्तव्यों का पालन कैसे करें इसकी सीख दी है. साधुता यानी वैराग्य यह एक ऐसी उपलब्धि है, जिसे प्राप्त कर कर इंसान इस दलदल नूमा संसार में रहकर भी, कमल पुष्प के भाती पवित्र रहता है. वैराग्य एकमात्र रास्ता है, सांसारिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए अपने परम कल्याण यानी मोक्ष को प्राप्त कर लेने का. साधुता इंसान को हर परिस्थिति में स्थिर रहना सीखाता है.
७. धर्माचरण: धर्म के आचरण की अगर सच्ची सिख किसी से मिलती है, तो वह हमारे प्रभु श्री राम है. जिन्होंने कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपने धर्माचरण को कभी नहीं त्यागा, सदा ही अपने धर्माचरण के कर्तव्यों को निभाया और पूरा किया है. धर्माचरण यानी अपने जीवन के कर्तव्यों, मूल्यॊ, जिम्मेदारियों को अपनी संपूर्ण निष्ठा से निभाना होता है. धर्माचरण में हमारे पारिवारिक कर्तव्य शामिल है, जिसमें हम अपने पुत्र होने का कर्तव्य निभाते हैं, पिता होने का कर्तव्य निभाते हैं, दादा होने का कर्तव्य निभाते हैं, साथ ही साथ में इस समाज के जिम्मेदार नागरिक होने का भी कर्तव्य निभाते हैं. धर्माचरण अर्थात हम इस संसार में किसी के साथ भी कोई भी आचरण कर रहे हैं, यानी कर्तव्य निभा रहे हैं वह हमारे मानव धर्म सामाजिक धर्म और नीति न्याय के अनुकूल होना चाहिए.
८. निर्मलता: जिसने भी भगवान श्री राम को समझा, उसने उनके चरित्र में निर्मलता को अवश्य महसूस किया और देखा होगा. निर्मलता अर्थात हर किसी के लिए हृदय में दया और क्षमा का भाव. यह भाव अत्यंत ही पवित्र और शुद्ध होता है. इस भावना द्वारा हम उन व्यक्तियों को भी क्षमा कर देते हैं, जिन्होंने कभी हमारा बुरा किया हो. एक निर्मल हृदय वाला व्यक्ति इतना दयालु होता है, की अगर उसका दुश्मन उसके सामने आकर उससे क्षमा मांगे तो वह एक क्षण भी नहीं लगाता उसे क्षमा देने में माफ करने में. इस भाव वाला हृदय सदा ही शुद्ध और पवित्र भावनाओं से परिपूर्ण होता है. जिसमें निर्मलता होती है, वह कभी किसी का कभी भी बुरा नहीं कर सकता, बुरा करना तो छोड़ो कभी किसी के बारे में बुरा सोच भी नहीं सकता.
९. नीति-नियम: श्री राम प्रभु ने हमेशा अपने जीवन में नीति और नियमों को सर्वपरी रखा है. उनके द्वारा आचरित नीति नियम इतने पवित्र इतने शुद्ध है, की कोई भी इंसान उन नियमों का पालन करें तो वह भी देवतुल्य बन सकता है, नीति नियम इंसान को देव तुल्य तो बनाते ही है, साथ ही साथ एक आदर्शवादी इंसान भी बनाते हैं. नीति नियम में रहने वाला इंसान हमेशा ही, अपने सांसारिक जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा से निभाता है. शास्त्रों में ऐसा कहा गया है, अगर इस पृथ्वी पर रहते हुए भी, अपने सारे पापों का नाश करना हो तो इंसान को हमेशा ही नीति और नियम का पालन करना चाहिए. ऐसा कहा जाता है, वहां स्वर्ग में जो यम है वह इस धरती पर नीति और नियम है.
१०. विनम्रता: इस संसार में, हमारे भारतवर्ष में अगर किसी ने विनम्रता के सही मूल्यो को समझा है, और लोगों के सीख के लिए, इस समाज के लिए, हमारे लिए, हमारे आने वाली पीढ़ियों के लिए अपने जीवन में प्रदर्शित किया है, तो वह मेरे राम है. आज उनके द्वारा सिखाई विनम्रता इस संसार को विनम्र होने की सीख दे रहे हैं. विनम्रता इंसान का वह गुण है, जिसके द्वारा इंसान अपने बड़े बूढ़े, गुरु जनों और ईश्वर का सम्मान करता है. मेरा मानना है की विनम्रता एक मूलभूत स्तंभ है, हमारे बच्चों में संस्कार को स्थापित और स्थाई करने का. विनम्र इंसान हमेशा ही शांत स्वभाव का होता है. उसकी वाणी अत्यंत मधुर और आत्मा को शांति पहुंचाने वाली होती है. यह हमारी विनम्रता ही है, जो हमें अहंकारी बनने से बचाती है. कम से कम इस एक गुण को हम अपने बच्चों में स्थापित और स्थाई कर पाए तो, आप देखेंगे कि हमारे बच्चे आदर्शवादी न्याय प्रिय और समाज राष्ट्र के लिए हितकारी हो जाएंगे. इस एक गुण के कारण वह अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारियों को भी समझ पाएंगे निभा पायेंगे. उनका आचरण सदा ही समाज और देश के लिए हितकारी ही होगा.
हम सभी इस सत्य को बखूबी जानते है, की सच्चा प्रेम हमेशा हमारे गुण, भाव और हमारे चरित्र से होता है. आप सभी को पता ही होगा की मां सीता लक्ष्मी का अवतार थी. और मां सीता को भगवान श्री राम के यह दसों गुण अत्यंत प्रिय थे. इस कारण जिस भी इंसान में, जिस भी परिवार में इन दसों गुणों का समावेश होगा, उस इंसान, उस परिवार पर मां सीता यानी मां लक्ष्मी का आशीर्वाद सदा बना रहेगा. जिसने भी भगवान श्री राम के इन गुणों का, इन भावों का अनुसरण किया है उन पर भी मां सीता मां लक्ष्मी का आशीर्वाद सदा रहेगा.
यह दसों गुण जिस भी इंसान में होंगे, वह देव होगा या देव तुल्य अवश्य होगा. उसके लिए इस दुनिया का कोई भी कार्य करना और उसमें कामयाबी हासिल करना बहुत ही आसान होगा. उसके मस्तिष्क में इतनी शक्ति होगी, उसके आचरण में इतनी शक्ति होगी कि वह जहां भी जाएगा वहां का हर व्यक्ति उसका आदर सम्मान तो करेगा ही, साथ ही साथ में उसके जैसा बनने का प्रयास भी करेगा. उसका आचरण सूर्य के समान होगा जहां भी हो जाएगा, वहां से हर एक प्रकार की अंधकार रूपी नेगेटिविटी अपने आप ही समाप्त हो जाएगी. उसके द्वारा किए हुए आचरण समाज के लिए आदर्श होंगे. उसके व्यक्तित्व में इस कदर तेज और प्रकाश होगा, की हर कोई उसके व्यक्तित्व के प्रति उस इंसान के प्रति आकर्षित होगा.
मैं मेरे प्रभु श्री राम से, हम सभी के जीवन के लिए मंगल कामना करता हूं. और इस ब्लॉग पोस्ट को इस आशा के साथ समाप्त करता हूं, की हर कोई इन दसों गुण को अपने जीवन में उतारने, धारण करने का प्रयास अवश्य करेगा.
जय श्री राम
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें